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जन्म कुंडली में समकामिता योग (Homosexuality Yoga in Astrology)

ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति की यौन प्रवृत्ति और झुकाव को जन्म कुंडली के माध्यम से समझने का प्रयास किया जाता है। समलैंगिकता (Homosexuality) को भी ग्रहों की दशा, भावों की स्थिति और विशेष योगों के आधार पर देखा जा सकता है।

कई प्राचीन ग्रंथों में संभोग की विभिन्न प्रवृत्तियों का उल्लेख मिलता है, और ज्योतिष में भी इसे विशेष योगों और ग्रहों की स्थिति से समझा जाता है।




🔍 समकामिता (Homosexuality) को निर्धारित करने वाले ज्योतिषीय कारक:

समलैंगिक प्रवृत्ति को देखने के लिए निम्नलिखित कारकों का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है—

1️⃣ सप्तम भाव (7th House) – विवाह और यौन संबंधों का भाव

सप्तम भाव किसी व्यक्ति के जीवनसाथी और यौन संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।

अगर सप्तम भाव पर राहु, केतु, शनि या मंगल का प्रभाव हो, तो व्यक्ति की यौन प्रवृत्ति असामान्य हो सकती है।

सप्तम भाव पर शुक्र और राहु का संयुक्त प्रभाव हो, तो व्यक्ति का झुकाव अप्राकृतिक यौन संबंधों की ओर हो सकता है।


2️⃣ पंचम भाव (5th House) – प्रेम और आकर्षण का भाव

पंचम भाव प्रेम संबंधों को दर्शाता है।

यदि पंचम भाव में शनि, राहु, केतु या नीच का मंगल स्थित हो, तो व्यक्ति समलैंगिक आकर्षण महसूस कर सकता है।

यदि पंचम और सप्तम भाव के स्वामी आपस में दुष्ट भाव (6, 8, 12) में स्थित हों, तो व्यक्ति की यौन प्रवृत्ति पारंपरिक नहीं हो सकती।


3️⃣ शुक्र (Venus) – काम और आकर्षण का ग्रह

शुक्र प्रेम, सौंदर्य और यौन सुख का कारक ग्रह है।

यदि शुक्र राहु या केतु से प्रभावित हो, या नीच राशि (कन्या) में स्थित हो, तो व्यक्ति का झुकाव समान लिंग के प्रति हो सकता है।

अगर शुक्र सप्तम या अष्टम भाव में शनि के साथ स्थित हो, तो व्यक्ति समलैंगिक संबंधों की ओर आकर्षित हो सकता है।


4️⃣ मंगल (Mars) – शारीरिक ऊर्जा और कामवासना का ग्रह

यदि मंगल शुक्र के साथ युति में हो और इन पर राहु का प्रभाव हो, तो यह असामान्य यौन इच्छाओं को जन्म दे सकता है।

अष्टम भाव (8th House) में राहु, मंगल और शुक्र की युति हो, तो व्यक्ति समलैंगिक संबंधों की ओर झुक सकता है।


5️⃣ राहु और केतु (Rahu & Ketu) – भ्रम और अप्राकृतिक प्रवृत्तियाँ

राहु अप्राकृतिक इच्छाओं और उत्तेजनाओं का ग्रह है।

यदि राहु शुक्र या मंगल के साथ सप्तम या अष्टम भाव में हो, तो यह अलग तरह की यौन इच्छाओं को दर्शाता है।

केतु पंचम या सप्तम भाव में हो और उस पर शनि या राहु का प्रभाव हो, तो व्यक्ति का झुकाव समलैंगिकता की ओर हो सकता है।


6️⃣ चंद्रमा (Moon) – मानसिक प्रवृत्ति का कारक

चंद्रमा यदि शनि, राहु या केतु से प्रभावित हो, तो व्यक्ति की मानसिकता सामान्य से अलग हो सकती है।

चंद्रमा पर मंगल या राहु का प्रभाव होने से व्यक्ति अत्यधिक कामुक और असामान्य यौन इच्छाओं वाला हो सकता है।





🔮 विशेष योग जो समकामिता दर्शाते हैं:

1. शुक्र और मंगल की युति पंचम, सप्तम या अष्टम भाव में हो और राहु या शनि से प्रभावित हो।


2. सप्तम भाव या उसके स्वामी पर राहु, केतु या शनि की दृष्टि हो।


3. पंचम भाव या उसके स्वामी पर राहु, केतु या शनि का प्रभाव हो।


4. शुक्र, मंगल और राहु का संबंध हो, विशेषकर सप्तम या अष्टम भाव में।


5. चंद्रमा, शुक्र और मंगल का संयोजन नीच राशि में हो या राहु से पीड़ित हो।


6. लग्न में राहु या केतु हो और सप्तम भाव पर शनि या राहु की दृष्टि हो।


7. यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र कमजोर हो और स्त्री की कुंडली में मंगल कमजोर हो, तो समलैंगिक झुकाव हो सकता है।






🕉️ क्या ज्योतिष से समकामिता को बदला जा सकता है?

समलैंगिकता किसी व्यक्ति की जन्मजात प्रवृत्ति होती है, और इसे किसी उपाय से बदला नहीं जा सकता।
हालांकि, अगर कोई ग्रह अशुभ प्रभाव डाल रहा है और व्यक्ति को मानसिक तनाव हो रहा है, तो कुछ उपाय किए जा सकते हैं—

🔮 उपाय (अगर तनाव महसूस हो रहा हो तो)

1. राहु, केतु और शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।


2. शुक्र और चंद्रमा को मजबूत करने के लिए सफेद वस्त्र पहनें और शुक्रवार के दिन व्रत करें।


3. पंचम और सप्तम भाव के दोष निवारण के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।


4. गाय को हरा चारा और गरीबों को सफेद वस्त्र या मिठाई दान करें।






📌 निष्कर्ष:

समकामिता (Homosexuality) को जन्म कुंडली में सप्तम, पंचम, अष्टम भाव, शुक्र, मंगल, राहु और चंद्रमा की स्थिति से देखा जा सकता है। यदि इन ग्रहों का संयोजन असामान्य रूप से हो तो व्यक्ति का झुकाव समलैंगिक संबंधों की ओर हो सकता है।

क्या समलैंगिकता गलत है?
👉 नहीं! ज्योतिष सिर्फ व्यक्ति की प्रवृत्तियों को दर्शाता है, न कि उन्हें सही या गलत ठहराता है। हर व्यक्ति का जीवन अलग होता है, और प्राकृतिक झुकाव को समझकर उसे स्वीकार करना ही सही दृष्टिकोण है।




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